आखिर कब तक???
वां बस एकटा मास आर हड्डीर टुकड़ा नी
वातो एकटा जान बसछिले!
वां बस एकटा खेलवार समान नी
वाओं अपना मां-बाफेर आखेंर तारा छिले!
वां डोरे-डोरे इड़ा दुनियाँत जीवा नी ओसिले
वाको खुला हावात सांस लुआर हक छिले!
वां पढ़िले-लिखीले अपना बली चढ़वार तने नी
वाओं सुरक्षार साथ समाजेर सेवा करवा चाह छिले!
की मिलील वाक?
एकटा दर्दनाक मौत!
की मिलील वार मां-बाफोक?
जिंदगी भर तड़पुवार एकटा कारण!
की सबक मिलील समाजेर बेटी लाक?
कि पढ़े-लिखे भी तुई आजादी से जीवा नी पाबो!
आखिर कब तक डोरेर ओढ़नी पिन्हें
अपना इज्जत बचाबे एक टा बेटी?
आखिर कब तक इसी तरह एकेर बाद एक
बेरहमी से मारे दियाल जाबे अनगिनत बेगुनाह बेटी?
आखिर कब तक आदमीर सकलोत
जानवरेर शिकार होते रोहबे एक टा बेटी?
आखिर कब तक आदमीर सकलोत
जानवरेर शिकार होते रोहबे एक टा बेटी!
आखिर कब तक….
– मिली कुमारी (एकटा पढ़ी-लिखी सहमी हुई बेटी)
Author: Irtiza Sameen
'Irtiza Sameen' is an Indian Emerging journalist who is the Founder and CEO of @TheNewslytics, Co-founder of @DainikDarpan24News and works with multiple media organization like @Lallanpost and @journomirror, He raises his voice for Indian minorities and marginalized people through news, and likes to write for his backward region of Bihar (Seemanchal)